बापू की गाथा-नीभा सिंह

Nibha

बापू की गाथा

आओ तुमको आज बताएँ बापू की गाथा,
जिस को पाकर गुलामी से मुक्त हुई थी अपनी भारत माता।

2 अक्टूबर 1869 को जन्मे थे ये दिन बहुत था खास,
उन्होंने ही पढ़ाया हमे सत्य और अहिंसा का पाठ।

आँखों में चश्मा हाथ में लाठी ,
पतली दुबली थी कद काठी।

जीवन सादा और उच्च विचार,
इनको प्रिय थे सबसे ज्यादा।

चरखे पर सूत कात कर स्वयं का वस्त्र बनाते थे,
वो नित्य सादा और शाकाहारी भोजन ही खाते थे।

नहीं किसी से डरते थे, सत्य मार्ग पर चलते थे।
हक के खातिर समय-समय पर अनशन भी वो करते थे।

सही कई यातनाएँ पर हार कभी न माना।
भारत को स्वतंत्र बनाना यही उन्होंने ठाना।

उनकी एक आवाह्न पर कई लोग आ जाते थे।
सत्य और अहिंसा ये दो ही वो शस्त्र उठाते थे।

इन्हीं दो हथियारों से उन्होंने बड़ा काम कर दिखलाया था।
इनके बल पर ही भारत माता का परचम लहराया था।

नीभा सिंह
फारबिसगंज, अररिया

0 Likes
Spread the love

Leave a Reply