बेटी:अधिकार-मधु कुमारी

बेटी : अधिकार

बाबा मैं भी अभिमान तुम्हारा
मान-सम्मान संग संतान तुम्हारा

मुझको भी है पढ़ने जाना
शिक्षा का है दीप जलाना

शिक्षा का अलख जलाऊँगी
पढ़ लिखकर मैं भी बाबा

तुम्हारा मान-सम्मान बढ़ाऊँगी
भैया राजा है जब स्कूल को जाता

है बस्ता का झोला, मुझको भी ललचाता
बेटी हूँ, है पढ़ना मेरा भी अधिकार

मैं भी बन सकती शिक्षा का आधार
पढ़ना-लिखना आगे बढ़ना

है मेरा भी अधिकार
न रोको मुझको, पढ़ने से बाबा

मुझसे भी करो तुम प्यार दुलार
बाबा क्यूँ मुझको तुम रुलाते हो

बेटी हूँ व्यापार नहीं
शिक्षा पाना,
क्या मेरा अधिकार नहीं ?

मधु कुमारी
कटिहार 

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