बेटी की शिक्षा
वो उड़ती है पंख फैलाकर,
आसमान छूना ख्वाब है उसका।
वो चलती है,
आत्मविश्वास से भरकर,
हर मंज़िल पा लेना,
सपना है उसका।
गिरती है, उठती है,
संभलती है,
मुस्कुराकर हर ठोकर
को सहती है,
मुश्किलों को ठोकर मारना,
स्वभाव है उसका।
काटो मत उसके पंख,
वो जहाँ जीत लाएगी,
उड़ान तो भरने दो,
वो कल्पना बन जाएगी,
माता पिता के
हर सपने को, करेगी साकार।
पढेगी बेटी तभी तो जीत,
लाएगी संसार।
संगीता कुमारी सिंह
म.वि. गोलाहू
नाथनगर भागलपुर
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