बेटी पर मुझको नाज़ है
मेरी बेटी मेरे सर का ताज है
गर्व है मुझे खुद पर की,
एक बेटी के हम बाप है।
जबसे मेरे घर आई बेटी
मेरी दुनिया आबाद है।
मेरी बेटी तुझ पर मुझे नाज़ है
तुम घर की लक्ष्मी, माँ सरस्वती के रूप में,
हर घर में बेटी तू विद्यमान है।
सृष्टि रचियता नारी शक्ति
तुम से ये सारा जहान है,
आज हर कदम पर बेटों से आगे
बेटी बनती तू महान है।
आज खेल और पढ़ाई से लेकर
सत्ता भी बेटी से गुलजार है,
सब पर भारी सबसे प्यारी
बेटी तुमसे ही संसार है।
बेटी को पढ़ाना है, बेटी को बचाना है
बेटी को पढ़ा लिखाकर,
उसके सपने सच कर दिखाना है।
रोको न कोई बेटी के उड़ान को
बहुत ऊंची इनकी उड़ान है,
सबसे प्यारी सबसे न्यारी
हर बेटी महान है।
धीरज कुमार
उ० म० वि० सिलौटा
प्रखंड- भभुआ
जिला- कैमूर