बेटी
बीजों को कोंपल बनने दो
कलियों को तोड़ो मत तुम
बेटी तो घर की लक्ष्मी है
उससे मुँह मोड़ो मत तुम
घर में चहकती रहती है
कटुता भी हँस कर सहती है
बेटे भले उद्दंड बने
पर साथ निभाती बेटी है
हर कष्ट हमेशा सहती है
जिम्मेदारी से न डरती है
मुश्किल वक्त में लड़ने की
वही तो शक्ति देती है
जब कठिन किनारा लगता है
वह नैया पार लगाती है
माँ, बहन, पत्नी रूप में
घर को परिवार बनाती है
हर काम में हाथ बँटाती है
हर कार्यशक्ति आजमाती है
इस जग को जीवन देती है
हर दुःख को वो हर लेती है
है धरती पर देवी का रूप
उसका ही नाम तो बेटी है
माता की पूजा करते हो
फिर, बेटी से क्यों डरते हो ?
बेटी दुर्गा, काली का अवतार है
बेटी ही सृजनहार है
बेटी से घर परिवार है
बेटी से धैर्य, क्षमा और प्यार है
फिर बेटों पर क्यों मरते हो ?
बेटी का जीवन क्यों हरते हो ?
बेटी से अगर है प्यार नहीं
तो है मानव कहलाने का अधिकार नहीं
बन्द करो बेटों का गुणगान
बेटी भी है बेटा समान
मत करो बेटी का अपमान
दे दो उसको भी जीवन दान
वो भी है ईश्वर की संतान
गर न करोगे कन्यादान
तो कैसे पाओगे मोक्ष धाम ?
प्रभात रमण
मध्य विद्यालय किरकिचिया
फारबिसगंज अररिया