भाईचारा अपनाएँ
स्वार्थ रखने वालों की
कभी न बातों में आए
हिंदू मुस्लिम सिख इसाई
आपस में भाईचारा अपनाएँ।
बात-बात पर एक दूजे संग
न कभी मतभेद करें
प्रेम भाव हो हर जिगर में
एक दूजे का सम्मान करें।
हिंसा कष्टदायक होती
अहिंसा पर विश्वास करें
धैर्य बनाए रखें हमेशा
उच्छृंखल न कभी बनें।
अनेकता में एकता ही
हमसब की पहचान है
फिर बैर भाव क्यों मन में रखते
जो हमसब का अपमान है।
किसी चीज का गहन दृश्य कर
फिर उस पर मंतव्य रखें
दूसरों के कहने पर न जाएँ
सोच समझकर कदम रखें।
वसुधैव कुटुम्बकम के भाव
हम भारतीयों की पहचान है
फिर क्यों लड़ते हैं आपस में
जिससे मिटे हमारी शान है।
नीलकंठ करता है विनती
दूजे की बातों में न आएँ
स्वयं के कर्म में व्यस्त रहें
भाईचारा भी अपनाएँ।
विजय सिंह नीलकण्ठ
सदस्य टीओबी टीम