भारत के वीर-भोला प्रसाद शर्मा

Bhola

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भारत के वीर

नन्हा-मुन्ना पास तो आओ,
ध्वज हाथ में तुम फहराओ।

स्वयं बालक हो तुम अधीर,
तुम ही हो भारत के वीर।

नन्हें-नन्हें हाथ जो तेरे,
ठुमक-ठुमक हो लगाते फेरे।

गाल जो तेरे चमके तारे,
शान तू इण्डिया का है प्यारे।

तेरी बोली मधुर जो निकले,
तपती सोना जैसे पिघले।

गंगा की लहरे तेरी टोली,
सूरत देखो कितनी भोली।

रास जो आए तेरा मिलना,
मिलना जुलना मिलके बिछड़ना।

तेरी सतरंगी टोली उधम मचाए,
लहराके तिरंगा मस्ती में गाये।

झूठ न तुझको पास बुलाये,
सच की बादल सबको हर्षाये।

शूर कर्ण सा वीर तू दिखाता,
शौर्य दिखा तू कभी न लड़ता।

बाहुबली का सीना दिखलाता,
है सत्य का प्रतीक तू बतलाता।

चक्र की भांति चलना सीखा,
वंदिशें बलिदान की फिर न चीखा।

हरित भाव हरियाली मुख पर,
सुख का सेहरा सदा है तुझ पर।

स्वर्ण युग की सरताज तुम्हीं हो,
हर माँ के आँचल की लाल तुम्हीं हो।

मुट्ठी रेत सा कभी न फिसला,
सदा धैर्य का सोच ही निकला।
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भोला प्रसाद शर्मा
डगरूआ, पूर्णियाॅं (बिहार)

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