भारत माँ के लाल
2 अक्टूबर 1904, मुगलसराय
बनारस में जन्मे भारत मां के लाल
माँ रामदुलारी के दुलारे
पिता मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव के बहादुर
परिवार के सबसे छोटे थे नन्हे
18 माह की अवस्था में उठा सर से पिता का साया
प्राथमिक शिक्षा ग्रहण किए ननिहाल में
उच्च शिक्षा लेने पहुंचे काशी विद्यापीठ
जहां मिली उपाधि शास्त्री की
और बने लाल बहादुर शास्त्री
1928 में जीवन संगिनी बनी ललिता शास्त्री
रहा सदा,सादा जीवन उच्च विचार
देश सेवा का व्रत ले जुड़े भारत सेवा संघ से
संकल्प लिए गरीबों की सेवा
देश की सेवा का
भारतीय स्वाधीनता संग्राम में
सक्रिय भागीदार रहे असहयोग आंदोलन,
दांडी मार्च, भारत छोड़ो आंदोलन में
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान आज़ाद हिंद फौज को दिल्ली चलो
मुंबई में अंग्रेजों को भारत छोड़ो और भारतीयों को करो या मरो थे इनके उद्गार
सादगी, देशभक्ति, ईमानदारी से
9 जून 1964 में बने देश के द्वितीय प्रधानमंत्री
1965 मे पाकिस्तानी हमले के पश्चात
देशवासियों का मनोबल बढ़ाने को
जय_जवान_जय_किसान का नारा दिये
ताशकंद समझौते पर थे उनके अंतिम हस्ताक्षर 11 जनवरी 1966 की रात
भारत माँ के लाल, जा चुके थे काल के गाल में
अद्भुत, अद्वितीय रहा इनका जीवन काल
लाल बहादुर शास्त्री भारत माँ के लाल
अपराजिता कुमारी
उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय
जिगना जगन्नाथ
प्रखंड – हथुआ
जिला – गोपालगंज