भारतीय सेना
मातृभूमि के कर्मवीर हम,
देश की रक्षा के सूत्र हम।
साहसी माँ के सपूत हम,
सभी मानवों के उम्मीद हम।
एकता के प्रतीक राष्ट्र को नमन,
मेरी चाह देश में हो अमन।
प्राण का कण-कण मेरा अर्पण,
मातृभूमि को मेरा सर्वस्व समर्पण।
जुड़े हैं हम एकता के भाव से,
ईर्ष्या को जीतेंगे प्रेम के ढाल से।
खुश है, विश्व में भारत के आगाज से,
बदलेंगे तस्वीर तकनीकी अंदाज से।
घर छोड़ा, परिवार छोड़ा,
अपना सारा घर वार छोड़ा।
सब कुछ छोड़ा देश न छोड़ा,
क्योंकि देश को अभिमान है मुझसे,
और मुझको अभिमान है देश पे।
देह मेरी मिट्टी का कर्जदार है,
सांसे मेरी फिजाओं का उधार है।
घमंड किस बात का मैं करूं,
हमसब मातृभूमि के बस किराएदार हैं।
🙏 स्वरचित रचना 🙏
अनुज कुमार वर्मा
बेलवा, कटिहार, बिहार