बिटिया रानी-अर्चना गुप्ता

Archana

बिटिया रानी

सुन लो प्यारी मेरी बिटिया रानी
आओ सुनाऊँ तुझे मैं एक कहानी
नन्हें पाँव तेरे जब पड़े घर-अँगना
हँसती ऐसे जैसे बहे दरिया नूरानी

प्रस्फुटित होता तुझसे ही नवजीवन
विधाता की हो तुम अनमोल सृजन
सदा दीपशिखा सी अहर्निश जलती
पतझड़ को भी बना जाती मधुबन

उम्मीदों के सदा ही पंख फैलाओ
आशाओं की नव उड़ान भर जाओ
हर चुनौती का करो हँसकर सामना
स्वर्णिम सा नूतन अध्याय सजाओ

सर्वस्व जगत की तुम्हीं हो सार
है धरा-गगन अपरिमित विस्तार
समस्त सृष्टि तो है अंश तुम्हारा
कई रूप समाहित तेरा अवतार

तू नवदुर्गा की नौ शक्ति पावन
कर जागृत चेतना निज अन्तर्मन
ममता, दया की अनंत स्रोत तुम
बाँध रखती तू एक स्नेहिल बंधन

सदा ही बहती अविरल सरिता-सी
तुझसे ही पोषित समस्त दुनियाँ भी
मोल ममत्व के कोई चुका न पाए
हो सर्वस्व समर्पित, न ऊब जरा-सी

प्रेम, दया से किया तन-मन अर्पण
सींच नवपल्लव, दिया नवजीवन
जननी, सुता, भगिनी और भार्या बन
जीवन का किया सर्वस्व समर्पण

अर्चना गुप्ता
अररिया बिहार

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