बिटिया रानी-दिलीप कुमार गुप्ता

बिटिया रानी 

मेरी बिटिया रानी 
पल पल होती तू 
बड़ी सयानी 
आ तुझे कुछ बात बताऊँ 
जीवन दुर्गम पथ पर 
आ तुम्हे चलना सिखलाऊँ।

पढना लिखना तू 
मनोयोग से 
गढना सत्य धर्म 
कर्म योग से 
शिष्ट आचरण मर्यादा का 
आ तुम्हे बोध कराऊँ ।

यह संसार आंगन नहीं 
विस्तृत जैसे निस्सिम व्योम 
उड़ान तुम्हे तो भरना है 
क्षितिज माप तुझे आना है 
सनद रहे पर संरक्षित 
आ तुम्हे नव उड़ान सिखाऊँ ।

रथ तुम्ही रथी तुम्ही 
जीवन के पार्थ तुम्ही 
कुरूक्षेत्र संगम मे 
विजय तिलक लगाना है 
कपट का अस्तित्व नही 
आ तुम्हे रणनीति बताऊँ ।

भूल मानवीय संभावित है 
सुधार तो सुगंधित है 
क्षमा दया कृतज्ञ भाव से 
संस्कार सिंचित होना है 
जीवन सुपथ पर बढने का 
आ तुम्हे सम्यक मार्ग दिखाऊँ।

स्वाभिमान संग जीना मरना 
मानवीय संवेदना जागृत रखना 
संतति के मार्गदर्शन हेतु 
पदचिह्न को छोड़ना है 
सार्थक जीवन का मूलमंत्र 
आ तुम्हे दरश कराऊँ ।

दिलीप कुमार गुप्ता
प्रधानाध्यापक म. वि.कुआड़ी
अररिया बिहार 

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