बिटिया रानी
मेरी बिटिया रानी
पल पल होती तू
बड़ी सयानी
आ तुझे कुछ बात बताऊँ
जीवन दुर्गम पथ पर
आ तुम्हे चलना सिखलाऊँ।
पढना लिखना तू
मनोयोग से
गढना सत्य धर्म
कर्म योग से
शिष्ट आचरण मर्यादा का
आ तुम्हे बोध कराऊँ ।
यह संसार आंगन नहीं
विस्तृत जैसे निस्सिम व्योम
उड़ान तुम्हे तो भरना है
क्षितिज माप तुझे आना है
सनद रहे पर संरक्षित
आ तुम्हे नव उड़ान सिखाऊँ ।
रथ तुम्ही रथी तुम्ही
जीवन के पार्थ तुम्ही
कुरूक्षेत्र संगम मे
विजय तिलक लगाना है
कपट का अस्तित्व नही
आ तुम्हे रणनीति बताऊँ ।
भूल मानवीय संभावित है
सुधार तो सुगंधित है
क्षमा दया कृतज्ञ भाव से
संस्कार सिंचित होना है
जीवन सुपथ पर बढने का
आ तुम्हे सम्यक मार्ग दिखाऊँ।
स्वाभिमान संग जीना मरना
मानवीय संवेदना जागृत रखना
संतति के मार्गदर्शन हेतु
पदचिह्न को छोड़ना है
सार्थक जीवन का मूलमंत्र
आ तुम्हे दरश कराऊँ ।
दिलीप कुमार गुप्ता
प्रधानाध्यापक म. वि.कुआड़ी
अररिया बिहार