मेरा जीवन- गौरा सवैया २१२*६+२२२+११ जो हमें तू दिया नेह से हूँ लिया सर्व स्वीकार संजोया है मन।साथ देते रहा मैं सदा आज तो संग में है नहीं मेरा ही…
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स्वरचित कविता का प्रकाशन
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