टीचर्स डे 5 सितंबर को यादगार बनाएँ, चलो शिक्षक दिवस मनाएँ। सादगी, कर्तव्यनिष्ठ, धर्मपरायण, गुरुजी को जग में महान बनाएँ।। अपने अधिगम केंद्र पर पहुँचकर, विद्यालय खोलना, साफ सफाई, चेतना…
Category: sandeshparak
Sandeshparak poems are poems that are used to convey a message with feelings. Through poems, statements related to the country, the world, and society are transmitted to the people. Teachers of Bihar give an important message through the Sandeshparak of Padyapankaj.
गुरु की महिमा-भवानंद सिंह
गुरु की महिमा गुरु की महिमा अपरंपार पा न सका कोई इससे पार, गुरु का सदा करो सम्मान गुरु से होता है सबका कल्याण । मनुष्य को मानव बनाया मानवता…
मेरे गुरु-स्नेहलता द्विवेदी आर्या
मेरे गुरु वो हैं गुरु जो कुछ भी सिखाते हैं रात दिन, मेरे ही मन की प्यास बुझाते हैं रात दिन। सीखा है अगर कुछ भी कायनात ने कभी, वो…
गुरु वह जो-अपराजिता कुमारी
गुरु वह जो गुरु वह जो, जीवन की संपूर्णता हासिल करने को पथ आलोकित करें गुरु वह जो, सीखने सिखाने को सहजता, रोचकता से साकार करें गुरु वह जो, स्नेह…
आशा-फिर मुस्कुराएगा जहान-प्रियंका प्रिया
आशा एक सकारात्मक विचार है आशा, तो वहीं अंतर्मन का श्रृंगार है आशा।। नकारात्मकता में सुषुप्त दीप है आशा, अटल विश्वास का प्रतीक है आशा।। आशा ने किया है हर…
चंदा मामा-नरेश कुमार निराला
चंदा मामा गोल-गोल सा चंदा मामा लिपटा बैठा थाली में, आओ मिलकर दूध पिलाएँ सुंदर सुंदर प्याली में। जगमग-जगमग जुगनू करती चमचम करते तारें हैं, ऊपर बैठे चंदा मामा हर…
देश हमारा-जीवन एक कला-भोला प्रसाद शर्मा
देश हमारा देश हमारा सबसे प्यारा, हर देशों से है यह न्यारा। ऊँचे-ऊँचे पर्वत-पठार, कहीं पे मठ कहीं अटार। खाई देखो कितने गहरे, करते हिमगिरि जमकर पहरे। बहती है यहाँ…
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ-अशोक कुमार
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ बिटिया पढ़ेगी बिटिया बढ़ेगी, यही हमारा नारा, ये अनपढ़ तो जग अनपढ़, कैसे होगा कल्याण हमारा। बिटिया पढ़ेगी देश बढ़ेगा लड़का लड़की मे अंतर मत करना,…
चेतावनी ईश्वर की-अवनीश कुमार
चेतावनी ईश्वर की समय करवट है ले रहा ईश मानव समक्ष एक प्रश्न रख रहा क्यों खुद को तू ईश्वर बतला रहा इतना अभिमान ठीक नहीं सृष्टि का निर्माण तेरे…
हार-जीत-अर्चना गुप्ता
हार-जीत हो राहों में चाहे बाधा हजार जीवन की है यही ललकार हार जीत तो लगी है जग में हँसकर उसे तू कर स्वीकार। है दूर मंजिल तो क्या भय…