गीतिका – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

संत शिरोमणि कवि तुलसी की, महिमा गाते जाइए। पावन निर्मल भक्ति-भाव को, हृदय बसाते जाइए। रामचरितमानस अति सुंदर, ज्ञान-विभूषित ग्रंथ है, विनत भाव से प्रतिदिन पढ़कर, ज्ञान बढ़ाते जाइए। दोहे…

प्रतिकृति – रत्ना प्रिया

मातृ-भक्ति का मुझे मिला, जो प्रसाद नौनिहाल का, नूतन दिवस है मेरी प्रतिकृति के दसवें साल का। नन्हीं कली का मधु-स्पंदन, मेरी कोख में आया था, उस क्षण की अनुभूति…

रूप घनाक्षरी- जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’

यहाँ नाग पंचमी में, पूजे जाते नागदेव, शंकर पहनते हैं, बनाकर गले हार। स्वार्थ के हो वशीभूत, मदारी पकड़ते हैं, जहर निकालने को, लोग करते शिकार। अनेक शिकारी होते, इसके…

दोहावली – कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”

देवाधिदेव महादेव दया सिंधु शिव जी सदा,करते हैं कल्याण। जो भी आते हैं शरण,पाते वो वरदान।। बाबा भोलेनाथ को, पूजे जो नर-नार। पाकर नित आशीष को,करते निज भव पार।। सावन…

मैं था जो मैं हूँ वही – रवीन्द्र कुमार

मैं था जो मैं हूँ वही, चेहरा बदला,प्रण है वही, बढ़ते कदम,चलती साँसे, धड़कन की धक-धक में वही। मैं था जो मैं हूँ वही।            जमाने की भीड़ में, मुखौटा…

वर्षा आई- गुड़िया कुमारी

वर्षा आई, वर्षा आई जीवन में खुशहाली लाई। टिप-टिप,टिप-टिप बरसा पानी, चली हवा जैसे मस्तानी।। नदी, तालाब, खेत और पोखर, भर गया है सब में पानी। धरती पर हरियाली छाई,…

वर्षा आई- गुड़िया कुमारी

वर्षा आई, वर्षा आई जीवन में खुशहाली लाई। टिप-टिप,टिप-टिप बरसा पानी, चली हवा जैसे मस्तानी।। नदी, तालाब, खेत और पोखर, भर गया है सब में पानी। धरती पर हरियाली छाई,…

पावन तीर्थ नगरी काशी – अपराजिता कुमारी

धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्‍कृतिक प्राचीन मोक्षदायिनी सप्‍तपुरियों में एक लोक विश्व विख्‍यात बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा विश्वनाथ की अति प्रिय प्राचीनतम जीवंत नगरी काशी। शिव प्रिय,शिव नित्‍य विहार स्‍थली…