आओ चलो चलें दीप जलाएँ, काले अँधियारे को दूर भगाएँ, संग चलें और घुलमिल जाएँ, तमस मिटा, चलो दीप जलाएँ। मन के मैल को आज मिटाएँ, नकारात्मकता को परे हटाएँ…
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पावन शरद ऋतु – अमरनाथ त्रिवेदी
पावन शरद ऋतु की बहुत बड़ाई , सबके चित्त नित परम सुहाई । आश्विन, कार्तिक होते अति पावन, दिल को लगते हैं अति भावन। पर्वों का यह पवित्र महीना, नित …
उम्मीद के दीए- सुरेश कुमार गौरव
नित मन की अमराईयों में, मन की बातें बोलती हैं, नीरस से सरस जीवन के, मिश्रित पीयूष रस घोलती हैं। समय बीत रहा है पल-पल, कह रहा है, हों सब…
सूरज बाबा – भोला प्रसाद शर्मा
सूरज बाबा, ओ सूरज बाबा, तुमसे रोशन है जग सारा। सुबह-सवेरे तुम मुस्काओ, धरती को तुम खूब सजाओ। सूरज बाबा निकले सुबह, लेकर अपनी रथ की किरण। सारा जग…
दिवाली आज मनाएँगे- रामकिशोर पाठक
दादा जी फुलझड़ी चाहिए, जगमग वाली लड़ी चाहिए, हम भी दीप जलाएँगे, दिवाली आज मनाएँगे। देखो पटाखे फूट रहे हैं, लगता तारे टूट रहे हैं, रंगोली भी तो बनाएँगे,…
स्लेट है तेरा भविष्य – रामपाल सिंह ‘अनजान’
यह स्लेट है तेरा भविष्य, तेरे संग है किसी का असीस। लग रहा है तुम अबोध नहीं, उन रेखाओं का तुझे बोध नहीं। एक गतिविधि में है तुम लीन, तुझ…
मानव है वही जो- अमरनाथ त्रिवेदी
मानव है वही जो , मानव के काम आए। इंसानियत उसी में, जो शराफत से पेश आए।। खतरे बहुत अधिक हैं, मुश्किलें राहों में पड़ी हैं। कहीं इसमें खो न…
दोहावली – रामपाल सिंह ‘अनजान’
प्रात काल वो सूर्य को, करती प्रथम प्रणाम। सूर्य देव आशीष दें, रहे सुहाग ललाम।। प्रातकाल से है लगी, सजा रही है थाल। अमर सुहाग सदा रहे,सुना रही है नाल।।…
विधाता छंद – एस. के. पूनम
दरस देतीं प्रथम माता, कहाँ हो तुम चली आतीं। क्षुधा प्यासा ललन बैठा, पके दाना तुम्हीं लातीं। दया कर के परोसीं वो, मिटी जो भूख खाने से। कसम से आज…
अभियान गीत- रामकिशोर पाठक
छोटे बड़े का भेद रहे न, हम सबको गले लगाएँगे। बच्चे बूढ़े जवान साथ में, हम शिक्षित सबको बनाएँगे।। रहे नहीं उदास कोई भी, हम सबको हँसी सिखाएँगे। रहे…