करवा चौथ -रामपाल प्रसाद सिंह

करवा चौथ देवी धरोहर पार्वती जय,जय देवी पांचाली की। आज करें विनती हम मिलकर,पुण्य बहाने वाली की।। पाकर कथा शुभंकर शिव से,शिवा लिए धरती आई। गंगधार-सी कल-कल छल-छल,धरा पुण्य भरती…

करवा चौथ – रामपाल प्रसाद सिंह अनजान

विधाता छंदाधारित मुक्तककरवा चौथ कहीं संगम कहीं तीरथ,धरा पर पुण्य बहते हैं, सजी हैं नारियाॅं भूपर,कहेंगे व्यर्थ कहते हैं। हजारों साल जिंदा हो,चमकता माॅंग का सिंदूर.., जहाॅं पतिदेव की सेवा,वहाॅं…

वृद्धावस्था-गिरींद्र मोहन झा

वृद्धावस्था (कविता: गिरीन्द्र मोहन झा) शैशव, बाल्य, किशोर, युवा, से होकर तुम बने हो वृद्ध, तुम्हारा असली,बड़ा गुण है, हर स्थिति में स्थिर औ’ सिद्ध, ज्ञान, विज्ञान, अनुभव में गम्भीर,…

जिंदगी – राम किशोर पाठक

जिंदगी -सूर घनाक्षरी एक रास्ता है जिंदगी,आओ कर लें बंदगी,त्याग चित की गंदगी, चलते जाइए।कर्म धर्म मर्म ज्ञान,अपना पराया जान,सबको समान मान, समता लाइए।धैर्य धारिए मगर,स्नेह वारिए अगर,सौम्य बोलिए बसर,…

बिन मौसम बरसात – अवधेश कुमार

बिन मौसम बरसात : बाल कविता , मौसम आजकलहथिया नक्षत्र की बिन मौसम बरसात आया ,अपने साथ लाया बाढ़ और ढंडक की छाँव,घिर गई बदरिया छाई बैचैनी गाँव में ।धरती…

बेटी अभिशाप नहीं वरदान है – पूजा कुमारी

जाने क्यों लोग बेटी को बोझ समझते हैं। बेटी कोई अभिशाप नहीं यह तो आंगन की लक्ष्मी है।। किसी के घर खुशहाली बनकर तो किसी के घर लक्ष्मी बनकर आती…

पुत्री दिवस- गिरिंद्र मोहन झा

आज अन्तरराष्ट्रीय पुत्री दिवस पर प्रस्तुत मेरी एक कविता:पुत्री-दिवसधन्य वह गेह है, जहँ खिलखिलाती बेटियाँ,धन्य वह गेह है, जहाँ चहचहाती हैं बेटियाँ,धर्म-ग्रंथ कहते हैं, गृह-लक्ष्मी होती बहु-बेटियाँ,सारे देवों का वास…

हे कात्यायनी मां -डॉ स्नेहलता

हे कात्यायनी ऋषि कात्यायन की हे सुता, यह दर्प तुम्हारा अद्भुत है। यह रूप तुम्हारा अद्भुत है, सौंदर्य तुम्हारा अद्भुत है। ज्योति द्युति प्रकृतिअद्भुत, अनुराग तुम्हारा अद्भुत है। महिषासुर मर्दनी…

किताब- आशीष अंबर

सब चीजों से सबसे प्यारी,होती है किताब । उलझे – उलझे हर सवाल का,देती है जवाब । इसको पढ़कर बन जाता है,मूर्ख भी विद्वान । अनपढ़ शिक्षित हो जाता है,पा…

ममतामई मां -जैनेंद्र प्रसाद रवि

प्रभाती पुष्प ममतामई मांँ कलाई में शोभता है- कंगन व बाजूबंद, मनमोहता है देवी, माता का सिंगार है। जिज्ञासु श्रद्धालु जन- करते हैं आराधना, जयकारा गूंज रहा, माता दरबार है।…