चंचल वन में कवि सम्मेलन
चंचल वन में मची है अफरा तफरी,
चींटी हाथी खेल रहे पकड़ा पकड़ी।
कबूतर काका ने उड़ उड़ संदेश सुनाया,
कवि सम्मेलन राजा शेर ने बुलवाया।
चंचल वन में हुआ इकट्ठा जंगल परिवार,
खरगोश, बिल्ली, भालू, लोमड़ी, सियार।
सबने अपनी अपनी कविता सुनाई,
शाम ये बड़ी सुन्दर सुहानी आई।
माइक लेकर छुटकी चुहिया आई,
फिर तालियाँ सबने खूब बजाई।
हाथी दादा लगे सुनाने आराम से,
मंच टूटा गिर गए दादा धड़ाम से।
हाय दादा की कैसी किस्मत फूटी
और कमर की हड्डी फिर से टूटी।
निधि चौधरी
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