अरघ केरऽ बेरिया नु हो – छठ गीत
कर जोड़ी करिले विनतिया सुनह सुरुज बतिया नु हो।
आदित करूँ नहीं देरिया अरघ केरऽ बेरिया नु हो।।
जोड़े-जोड़े फलवा और सुपवा मंँगइले।
सूरज देव पल-पल तोहरे गोहरइले।।
करि हम कबसे अरजिया चार पहर दिन रतिया नु हो।
आदित करूँ नहीं देरिया अरघ केरऽ बेरिया नु हो।।०१।।
गेंहुआ पिसाइ सुरुज ठेकुआ बनवली।
टोला पड़ोसा सुरुज नेवता पेठवली।।
दिन रात के भूखल तेवइया करे भजनिया नु हो।
आदित करूँ नहीं देरिया अरघ केरऽ बेरिया नु हो।।०२।।
हथवा में सुप लेले ठार सुरुज पनिया।
थर-थर कांपे सुरुज हमरी बदनिया।।
बाट आज जोहत सूरज देव थके लागल व्रतिया नु हो।
आदित करूँ नहीं देरिया अरघ केरऽ बेरिया नु हो।।०३।।
रचनाकार:- राम किशोर पाठक
सियारामपुर, पालीगंज, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
