कोरोना काल
काल के कपाल में
हाँ, हाँ कोरोना कल में।
चारों ओर मचा हाहाकार है
ये सब कोरोना का हीं तो चमत्कार है
प्रकृति भी जागृत हो उठा
अब मानव का पल प्रतिपल चित्कार है।
काल के कपाल में
हाँ, हाँ कोरोना काल में।
बचपन छीना, छीनी आजादी
देते सब हरपल कोरोना की दुहाई
क्या बच्चे, क्या बूढ़े
सब है बेबस इस वायरस के मायाजाल में ।
काल के कपाल में
हाँ, हाँ कोरोना काल में।
नित्य नए करता था चमत्कार
आज सुन रहा चारों ओर चित्कार
फँस गया मानव कैसे
देखो अपने हीं जाल में।
काल के कपाल में
हाँ हाँ कोरोना काल में।
बन गई कोरोना अब
विश्व के लिए असहनीय पीड़ा
कोरोना ने सबको हरपल
एक नया सबक सिखाया
आयुर्वेद से हमें जोड़कर इस
अदृश्य वायरस से लड़ना सिखाया
इस विषम, विकट काल में।
मधु कुमारी
कटिहार