दहेज-अशोक कुमार

Ashok

दहेज

बेटा बेटियां बराबर के अधिकारी,
उन्हें बनाएं जरुर संस्कारी।
शिक्षित बनाएं और उपकारी,
दोनों का है बराबर की हिस्सेदारी।।

बेटा बेटी वस्तु नहीं कि हम करें खरीददारी,
दहेज लेना देना पाप है यह है मेरी जिम्मेदारी।
कन्यादान कर मोक्ष प्राप्ति होती है तुम्हारी।
बहू भी बिटिया रानी जैसी है हमारी।।

बिटिया का पराया घर होती है प्यारी,
बहू हो या बिटिया हो दोनोें का जीवन है न्यारी।
दहेज लेने देने में बिक जाती है खेती-बारी,
कष्टमय हो जाती है जिंदगी सारी।।

समाज को जागृत करना है हमारी जिम्मेदारी,
दहेज प्रथा है एक सामाजिक बिमारी।
योग्य वधू एवं वर ढूंढे यही है होशियारी,
यही वास्तविक पूंजी है सदा साथ रहेंगी हमारी।।

अशोक कुमार
न्यू प्राथमिक विद्यालय भटवलिया
नुआंव कैमूर

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