देश हमारा सबसे न्यारा
सबसे प्यारा सबसे न्यारा,
सबसे सुन्दर देश हमारा ।
कहीं पठारें कहीं है पर्वत,
कहीं हैं नदियाँ कहीं बहारा ।
कहीं हैं झरने कहीं नजारे,
कहीं सरोवर कहीं फुहारें
नीले-नीले झील और सागर,
लहलहाते महकते तरुवर ।
कहीं है उपवन कहीं जंगल,
कहीं है घाटी कहीं समुन्दर ।
भिन्न-भिन्न जाति समुदाय ,
पर हों जैसे भाई-भाई ।
कहीं पे होली कहीं दिवाली,
कहीं ईद की छटा निराली
कहीं पे ओनम कहीं पे पोंगल,
अद्भुत है त्योहार हमारा ।
कहीं है मन्दिर कहीं है मस्जिद,
कहीं चर्च तो कहीं गुरुद्वारा ।
वेश-भूषाएँ अलग-अलग हैं,
फिर भी सब में भाईचारा ।
सबसे सुन्दर सबसे पावन,
सबसे न्यारा देश हमारा ।
तरह-तरह के जीव और प्राणी,
खिले हुए चेहरे नूरानी ।
ऋषि मुनि सब गाथा गाते,
वेद पुराण का पाठ पढ़ाते ।
जहाँ की धरती सोना उगले,
सूर्योदय हो सबसे पहले ।
जहाँ पशु भी पूजे जाते,
एक-दुजे से प्रेम हैं पाते ।
ऐसा है यह देश हमारा,
जिसको पूजे है जग सारा ।
आर्यावर्त की इस धरती को,
करती हूँ बारंबार प्रणाम,
आर्यों की धरती है यह,
भारत वर्ष है इसका नाम ।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
प्रीति कुमारी
कन्या मध्य विद्यालय मऊ विद्यापति नगर, समस्तीपुर