धमाचौकड़ी-रुचि सिन्हा

धमाचौकड़ी

बच्चों के मन को हरसाई, चीं-चीं करती चिड़ियां आई।
देख नजारा चिड़ियों का, चिंटू ने आवाज लगाई। सुन लो बहना सुन लो भाई ,
चीं-चीं करती चिड़ियां आई।
शोर-शराबा सुन बच्चों का, भौं-भौं करता कुत्ता आया।
पूंछ हिला प्यार दर्शाया, वफादारी का पाठ पढ़ाया।
सबने जम कर उधम मचाई,
चीं-चीं करती चिड़ियांआई ।
कलरव भी इन बच्चों का लगता हो जैसे शहनाई,
प्रकृति हो उठी आनंदित चारों ओर घटा सी छाई।
मोर सदृश मन झूम उठा, भागो-भागो वर्षा आई।
चीं-चीं करती चिड़ियां आई ।
भीगे तन पाकर अम्मा ने की खूब डँटाई ।
अभिनय में चुँकि था माहिर फिर भोली सी सूरत बनाई।
मुँह बिचकाया बड़े हुनर से, नैनन भी डब-डबाई ।
जाग उठा वात्सल्य माँ का फिर बड़े प्यार से सीने लगाई।
चीं-चीं करती चिड़ियां आई।

रुचि सिन्हा

उ. म. वि. चांदपरना
ब्लॉक मेन्टर, मीनापुर
मुजफ्फरपुर

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