धोते रहना हाथ
धोते रहना हाथ “साबुन” से
मन का मैल भी धो लेना,
अहंकार का अंश खत्म हो
साफ रहे “मन” का कोना।
रख लेना गज-भर की “दूरी”
दिल से दूर नहीं करना,
जीवन के “दौलत” है रिश्ते
उनको तुम मत खो देना।
बेशक “मास्क” मुँह पर बांधो
मुहँ फेर कर मत जाना,
“फेरी” जो अपनो से आँखें
पड़ेगा आँसू खुद पीना।
नहीं मिलाना “हाथ” किसी से
हाथ छुड़ाकर मत जाना,
किसे पता है कल क्या होगा
बिछड़ न जाए कोई अपना।
“मर्ज” नहीं यह दुश्मन बनकर
देश में आया कुटिल “कोरोना”
जितेंगे हम “जंग” जर्म से
शर्त है संग अपनों का होना।
स्वरचित एवं मौलिक
डॉ.अनुपमा श्रीवास्तवा 🙏🙏
आर. के. एम. +2 विद्यालय
जमालाबाद बिहार
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