दो ऐसा अचूक वरदान-विजय सिंह नीलकण्ठ

दो ऐसा अचूक वरदान

हे प्रभु हमको ज्ञान प्राप्ति का 
दो ऐसा अचूक वरदान 
हर पल हर क्षण ज्ञान प्राप्त हो 
विनती करता हूंँ भगवान।
ज्ञान पिपासा कभी न कम हो 
बस केवल हो एक ही चाह 
ज्ञान खजाना प्राप्त कर सकूॅं
सदा दिखाते रहना राह। 
ज्ञान है सागर ज्ञान महासागर 
ज्ञान का कोई अंत नहीं है 
सभी ज्ञान न मिल सकता है 
कहते सब अनंत यही है। 
लेकिन कुछ तो मिल जाएंगे 
गर तेरी कृपा होगी 
यही निवेदन है प्रभु तुमसे 
यदि मुझमें लगन होगी। 
नित नए ज्ञान को प्राप्त करूं 
ऐसी जिज्ञासा मुझमें भर दो 
भीख मांगता हूंँ प्रभु तुमसे 
ज्ञान से मेरी झोली भर दो। 
थोड़ा थोड़ा ज्ञान प्राप्त कर 
बन जाऊँ ज्ञानी इंसान 
यही कामना है प्रभु मेरी 
दो ऐसा अचूक वरदान। 
विजय सिंह नीलकण्ठ
सदस्य टीओबी टीम
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