दोहे-अशोक कुमार

Ashok

दोहे

जब चीता तीन कदम पिछे की ओर जावे, बयालिस हाथ छलांग लगावे।
जब तक चीता खड़ा है बचने का करें प्रयास, जब तीन कदम पिछे हटे न करें बचने की आश।।

जब सर्प फन फैलाए खड़ा हो जावे, उसका आंख फन से ढक जावे।
जब फन भूमी पर पटके, तुरन्त वह काटे धावे।।

जब तक फन फैलाए खड़ा हो, बचने का करें प्रयास।
जब फन भूमी पर पटके, न करें बचने की आश।।

दुश्मनी में दोस्त जब हंसकर बात करें, तब समझे वह अंदर ही अंदर भितरघात करे।
ऐसी परिस्थिति में न करें विश्वास, बचने का करें प्रयास।।

जब कोयल बे मौसम कूके, तब बर्षा बे-मौसम होवे।
ईंधन जुटाने का करें उपाय, तब जाकर दो जून की भोजन मिल पाय।।

काली बदरी जीव डेरवावे,भुअर बदरी लेव लगावे।
काली बदरी उमड़ के आवे, तब न ही बरखा करावे।
भुअर बदरी आसमान मे छावे, ख़ूब बरखा करावे।।

अशोक कुमार
न्यू प्राथमिक विद्यालय भटवलिया
नुआंव कैमूर

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