दोस्ती-एम एस हुसैन

 

दोस्ती 

रिश्ता वह अनमोल है
नाम है जिसका दोस्ती ।
छू लेते हैं आसमां को
कहलाते हैं महान हस्ती ।।

जब दो लोगों का होता है समर्पण
बन जाती है अतुलनीय दोस्ती ।
एक बार जब मिल जाती है बुलंदी
वह देखता नहीं फिर से पस्ती ।।

एक मित्र चाहिए प्यारे
करने के लिए तुमको मस्ती ।
क्योंकि श्री कृष्ण भी गए थे
कभी घूमने गरीबों की बस्ती ।।

जब नाविक हँसता है भंवर में
करने लगता खुदा की बंदगी
फिर वही दोस्त बनकर
साहिल पर लाती है कश्ती ।।

जीवन को करदे संगीतमय
वह साज व सामान है दोस्ती ।
जीना जो हमें सिखला दे
उसी राह का नाम है दोस्ती ।।

सुदामा को कृष्ण से मिलने जाना
वह कृष्ण का नंगे पाँव चले आना
दशा देखकर रोना व गले लगाना
इसे ही कहते हैं निश्छल दोस्ती ।

एम० एस० हुसैन
उत्क्रमित मध्य विद्यालय
छोटका कटरा
मोहनियां कैमूर 

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