एक नई शुरूआत-दिलीप कुमार गुप्ता

एक नई शुरुआत

हर शाम के बाद
स्वर्णिम प्रभात है
गुलामी नीरवता से मुक्ति
आजादी की बयार है
मिलन बाद विछोह
पुनर्मिलन की आस है
मृत्यु के साथ ही
नव जीवन की शुरुआत है ।

ठिठुरन भरी रैन पश्चात
ग्रीष्म उमस संताप है
पतझड़ की विदाई संग
नव वसंत त्यौहार है
नैनो से निःसृत नीर
आने वाली बरसात है
सुख दुःख से पटा जीवन
साँप सीढ़ी करामात है ।

फिसलन भरी चढाई
माया का संसार है
हार जीत की कशमकश में
हार कर भी जीतते हैं
जीत कर भी हार जाते हैं
कुछ सीखते
कुछ सिखा जाते हैं ।

कल किसने देखा
करना सदप्रयास है
सत्य पराजित नहीं होता
यही तो आधार है
“सत्यमेव जयते”
अपनी तो बुनियाद है
हर आरंभ एक अंत है
हर अंत एक नई शुरुआत है ।

दिलीप कुमार गुप्ता
प्रधानाध्यापक म. वि. कुआड़ी
अररिया 

0 Likes
Spread the love

Leave a Reply