गांधी शिक्षक के मन में हैं
गांधी शिक्षक के मन में हैं।
हर शिक्षक के जीवन में हैं।
जब सत्य, अहिंसा, कर्मठता का पाठ पढ़ाता है शिक्षक।
तब गांधीजी हर बाल मन और कक्षा के कण-कण में है।।
गांधी शिक्षक के मन में हैं।।
मात-पिता का सेवा करना,
सहज भाव से जीवन जीना।
अपना काम स्वयं ही करना,
दूसरों को कभी कष्ट न देना।
दूसरों की तुम नकल न करना,
बुरे संगत में कभी न पड़ना।
ये बातें सिखाता शिक्षक तो गांधी हर वचन में हैं।।
गांधी शिक्षक के मन में हैं।।
एक गाल पर थप्पड़ खा कर,
दूसरा गाल सामने लाए।
सहनशीलता ऐसी कि वह गाली बात सब कुछ सह जाए ।
दीन-दुखियों की सेवा करें और कष्ट निवारण का करें उपाय।
जो बालक यह सीखा सब कुछ,
गांधी उसके तन मन में है ।।
गांधी शिक्षक के मन में हैं।।
कोई विचार या सूक्ति हो या
देना हो कोई संदेश।
सत्य के मार्ग पर चलना हो या सत्य का करना हो प्रयोग।
गांधी ही आदर्श है सबके,
मानता उनको पूरा देश।
यू समझो वे राष्ट्रपिता बन,
भारत के जन-जन में हैं।।
गांधी शिक्षक के मन में हैं।।
2 अक्टूबर को जन्मे वे,
भले शरीर को छोड़ गए ।
पर हम सबके दिल दिमाग को,
गांधीवाद से जोड़ गए ।
ऊंच-नीच व जाति-पाति और भेदभाव को तोड़ गए।
ऐसे बन वे विश्व नागरिक,
हर जीव, काल, हर वतन में हैं।।
गांधी शिक्षक के मन में है।।
रचनाकार
कमलेश कुमार
मध्य विद्यालय केवढ़ी
प्रखंड-कुदा, जिला-कैमूर, बिहार