गंतव्य
जीवन की यात्रा पर
गतिशील है कदम,
नहीं ज्ञातव्य यथार्थता,
नहीं ज्ञातव्य औचित्य,
नहीं है स्पष्ट रास्ते,
नहीं जानते गंतव्य,
कौन सा पथ है उनका
कौन सही है पथिक,
किस मार्ग में चलने से,
रहेंगे सदैव कर्मशील,
नहीं गुमान है कटुता की,
न ही है परिचय सच्ची मैत्री से,
निश्चल मन का है बस स्वामित्व,
कोरा आकाश है अपेक्षाओं का,
लिखने है नित नए अध्याय,
जीवन पथ पर आगे आगे,
कर्म की पतवार थामें,
साक्षात्कार होती है नित नए चुनौतियों से,
बनकर उनकी यात्रा का कर्णधार,
करा पायेंगे हम ही उन्हें गंतव्य पार।
मार्ग से गंतव्य का सफर तय करते
नन्हें कदम,
आतुर है नित नवीनतम विकास को,
गंतव्य की उड़ान को।
है हमारी कामना है हमारी योजना
उनकी उड़ान को नित नए आयाम मिले,
सदैव अभीष्ट सफलताओं का सुंदर जहान मिले।
प्रियंका दुबे
मध्य विद्यालय फरदा जमालपुर