गौरवशाली बिहार
गा रहा हूँ गौरव गाथा
अपने गौरवशाली बिहार की,
प्रथम गणतंत्र बन राह दिखाई
प्रेरणा यह संसार की।
गंडक, घाघरा, सोन और पुनपुन
प्रगतिशील बिहार की शान है,
गंगा, कोशी, कमला और बागमती
सब बिहारियों की पहचान है।
भगवान बुद्ध ने इस धरती से
ज्ञान का दीप जलाया था,
प्रभु महावीर के उपदेशों ने
अहिंसा का मार्ग बतलाया था।
जहाँ कवि कोकिल विद्यापति का
स्वर्ण अक्षर में अंकित नाम है,
शहनाई उस्ताद बिस्मिल्ला खां को
इसी बिहार से मिली पहचान है।
विक्रमशिला और नालंदा ने
दुनिया को प्रज्ञा बाँटी है,
धन्य-धन्य हे पावन बिहार
धन्य तुम्हारी माटी है।
माता सीता की जन्मभूमि यह
मिथिला पावन धाम है,
वाल्मीकि के रामायण में भी
इस पवित्र बिहार का गुणगान है।
गुरु गोविन्द सिंह महाराज ने
सदा सत्य मार्ग बतलाया है,
कवि कालिदास के ग्रंथों ने
भटके को राह दिखलाया है।
पाणिनी का व्याकरण और
आर्यभट्ट का शून्य आविष्कार,
चाणक्य के अर्थशास्त्र की रचना से
धन्य हुआ पावन बिहार।
दिनकर, रेणु, बेनीपुरी, नेपाली
नागार्जुन की शीतल छाया,
राजेन्द्र, मजहरूल संग गाँधी जी ने
चम्पारण से सत्याग्रह चलाया।
इतनी गाथा गाता हूँ इस बिहार की
फिर भी कम पड़ जाता है,
कहे कवि “नरेश कुमार निराला”
बिहार से तो जन्मों-जन्मों का नाता है।
स्वरचित कविता
नरेश कुमार “निराला”
सुपौल, बिहार