गुरु की महिमा-अवनीश कुमार

गुरु की महिमा

गुरु के चरण रज की जो माथे तिलक लगाता है
अज्ञानी भी ज्ञानी चंद घड़ियों में बन जाता है।
गुरु के हृदय से अपने हृदय की तार जो जोड़ जाता है
परमाशीष गुरु का निश दिन वह शिष्य पाता है।
गुरु के चरण समीप जो छात्र अपना समय लगाता है
उच्च कोटि के संस्कार अपने जीवन मे छात्र वह पाता है
गुरु की आज्ञा ही सर्वोपरि है जो छात्र मूलमंत्र अपनाता है
ऐसा ही छात्र अपने विद्यार्थी जीवन मे छात्रोत्तम कहलाता है
गुरु की महिमा सबसे उँची नर हो चाहे नारायण जो गाता है ,
आशीष अपने गुरुजन का वह छात्र विशेष पाता है।
गुरु का स्नेहाशीष जो छात्र छात्र-जीवन में पाता है
वह अपने गुरु से पितातुल्य प्यार
सारा जीवन पाता है।
गुरु की बातों पर जो छात्र निश दिन ध्यान लगाता है
वह छात्र अपने जीवन में गुरु का मान बढ़ा ही जाता है
गुरु का मान बढ़ा ही जाता है।

गुरु के चरण रज की जो माथे तिलक लगाता है
अज्ञानी भी ज्ञानी चन्द घड़ियों में बन जाता है।

अवनीश कुमार
प्रभारी प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित मध्य विद्यालय अजगरवा पूरब
प्रखंड :- पकड़ीदयाल
जिला पूर्वी चंपारण (मोतिहारी)

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