हाथ धुलाई शान बने
अगणित कीटाणु रोगाणु
पाते बसेरा पंजे में
नख वज्रगृह हों जैसे
पाते पोषण खुब मजे में ।
सुस्वादु व्यंजन संग
सहज उतरते आमाशय में
नयन नासिका की दरिया संग
पाते विश्राम फुफ्फुस हलक में।
कोटि-कोटि फौज संग
करते संक्रमित अंग प्रत्यंग
पल मे रूग्न होती काया
मानो जीवन अस्त हो आया ।
समय रहते लड़ना होगा
भूलों से सीखना होगा
स्वास्थ्य रणनीति बनाना होगा
स्वच्छता को अपनाना होगा ।
आओ! हों आज संकल्पित
भोजन पूर्व व शौच पश्चात
सूखकर साँचे में स्वंय को डालें
अपने हाथों को अच्छे से धो लें ।
नियमित नख केश कटान
स्वच्छ जल से हो स्नान
सम्पूर्ण सफाई का रखकर ध्यान
सुरभित तन मन आंगन परिधान ।
हाथ मिलाने से करें परहेज
संक्रमण से परस्पर रहें सहेज
आ लौटें आर्य संस्कृति की ओर
नमस्कार की जय हो चहुँ ओर ।
हाथ धुलाई शान बने
जन गण का गान बने
दिवस न बन रह जाए
वसुधा का अभिमान बने।
दिलीप कुमार गुप्ता
प्रधानाध्यापक म. वि.कुआड़ी
अररिया