हिंदी दिवस-अशोक कुमार

हिंदी दिवस

14 सितंबर को हम सब मिलकर,
आओ हिंदी दिवस मनाएँ,
अपनी संस्कृति एवं सभ्यता को,
पुनः जीवित करने में योगदान दिलाएँ।
हिंदी हैं हम हिंदुस्ता हमारा,
यह सब को एहसास दिलाएँ।
बहुभाषिक होना अच्छी बात है,
हिंदी भाषी होने का आभास दिलाएँ।
हिंदी है देवनागरी लिपि,
देवों की वाणी है कहलाई,
कोमल मधुर सुव्यवस्थित वचन से,
सबको अपनी ओर आकर्षित कराई।
हिंदी, अंगिका, बज्जिका, मगही, भोजपुरी,
बहुभाषी होने का आभास दिलाएँ।
क्षेत्रीय भाषाओं के साथ-साथ,
हिंदी को भी अपनाएँ।
हिंदी है सहज बाड़ी,
अभिव्यक्ति व्यक्त करने का सहज एवं शुगम संसाधन,
मानव के साथ-साथ सभी जीवों को भी भाता,
हिंदी ऐसे ही नहीं मातृभाषा कहलाता।
जन्म से ही मातृभाषा कूट-कूट कर भरी होती है,
स्कूली शिक्षा से पहले ही आभास दिलाता।
विभिन्न राज्यों की अपनी अलग अलग है बोली,
मातृभाषा को सम्मिलित कर व्यापकता दिखलाएँ।
रामायण महाभारत गीता जैसे महान ग्रंथों को अनुवाद कर,
मातृभाषा आंतरिक वेदना को प्रस्तुत कराएँ।
14 सितंबर को हम सब,
हिंदी दिवस मनाएँ।

अशोक कुमार
न्यू प्राथमिक विद्यालय भटवलिया
नुआंव कैमूर

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