हिन्दी हैं हम
राजभाषा हिन्दी है हमारे हिंद देश की भाषा।
संस्कृति, उत्थान, समृद्धि की है ये प्रत्युषा।
अखंडता में एकता की है अद्भुत परिभाषा।
हिन्दी भाषा की समृद्धि है हमारी अभिलाषा।
मधुरम हिन्दी भाषा पर है हम सबको आन।
राजभाषा का दर्जा पाकर पाया है इसने सम्मान।
हमारे भारतीय संस्कृति की है ये पहचान।
गर्व है साहित्य के क्षेत्र में पाया अद्वितीय मान।
हिन्दी से हिन्दुस्तान की है आन-बान और शान।
अंग्रेजी की प्रभुता से हिन्दी का करना है त्राण।
रचनाकारों को अपनी हिन्दी पर है अभिमान।
हिन्दी हमारी मातृभाषा इसपर है हमें स्वाभिमान।
हमारी राजभाषा हिन्दी से है हमारा हिन्दुस्तान।
भारतमाता की भाल, वेदों का समाया है इसमें ज्ञान।
संस्कृत की संस्कृति से है इसकी दिव्य पहचान।
हिन्दी है हम, हिंदी दिवस का नहीं है कोई प्रावधान।
राष्टभाषा हिन्दी के प्रयोग में नहीं है कोई व्यवधान।
संस्कृत सुता हिंदी हिन्दुस्तान का है अनुपम वरदान।
श्लोकों के सम्यक-सार का है इसमें भण्डार।
साहित्य सृजण का है इससे संपूर्ण विस्तार।
वतन के वाशिंदे जाग उठे हैं नहीं है हिन्दी का तिरस्कार।
हिन्दी से हम, हिन्दी हैं हम, हिन्दी का जीवन में है व्यवहार।
राष्ट्र के जण-जागरण से बहुधा हुआ प्रचार-प्रसार।
भारत देश हमारा है हिन्दी बोलना है हमारा अधिकार।
समर्थ है हमारी हिन्दी, यही है आज का सुविचार।
हिन्दी से हम, हिन्दी है हम, हिन्दी से है हिन्दुस्तान।
स्व-रचित
अश्मजा प्रियदर्शिनी
पटना, बिहार