हिंदी हमारी शान है
साहित्य का असीम सागर है हिन्दी,
अमूल्य रत्नों से भरा गागर है हिन्दी।
जीवन की परिभाषा है हिन्दी,
देश की गौरवगाथा है हिन्दी।
हिन्दी की रफ़्तार बढ़ाना है,
ज़ीवन को सफल बनाना है।
सोया स्वाभिमान ज़गाना है,
हिन्दी भाषा अपनाना है।
रग-रग में लहू हो भारत की,
सीने में हिन्द अलंकार रहे।
इस हिन्दुस्तान की हिंदी से,
जन-जन को हमेशा प्यार रहे।
अन्तर्राष्ट्रीय पहचान है हिन्दी,
विश्व का कल्याण है हिन्दी।
सूर, जायसी, तुलसी कवियों की,
सरित-लेखनी से बही है हिन्दी।
भाषा-सभ्यता की अमूल्य सम्पदा,
ओजस्विनी और अनूठी ये हिन्दी।
राजभाषा पूजनीय है सर्वदा,
वंदनीय माँ के समान ये हिन्दी।
अलख जगाएँ हम हिन्दी का,
ह्रदय में हिन्दी की झंकार रहे।
हिन्दी बन जाए विश्व-दर्पण,
यही इक्षा बारम्बार रहे।
14 सितंबर है हिन्दी का दिवस,
पान करें हिन्दी का मधुर रस।
हिन्दी में रम जाएँ सब यूँ ही,
यही हमारी इक मंशा है बस।
हम करते हिन्दी की रखवाली
हिन्दी हमारा गर्व व अभिमान है।
नमन करें हम निज़ भाषा को,
कर ज़ोड़ शत्-शत् प्रणाम है।
🖋️नूतन कुमारी (शिक्षिका)
बिहार