हिंदी हमारी पहचान
है मातृभाषा पहचान हमारी
आन बान और शान हमारी
मिश्री से भी मीठी हिंदी जुबान
साहित्य संसार में इससे मिली मुझे पहचान
भाषाओं में सर्वश्रेष्ठ हिंदी
माँ भारती के शीश पर सुशोभित समान बिंदी
है सभ्यता-संस्कृति की मिठास
है रुचिकर हिंदी का इतिहास
माँ की कोख से जानी जाती
निज भाषा पर गर्व करना हमको सिखलाती
है करना हमको मिलकर हिंदी का उत्थान
मिले जिससे विश्व में भारत को सम्मान
करते सदैव गर्व हिंदी पर देशवासी
बिन हिंदी जीवन प्यासी
हो विश्व में हिंदी का गुणगान
सदा रहे इसका ध्यान
है हिंदी का मधुर रसपान
इसके सेवन से मिलता जन जन को अमृतप्राण
हिंदी साहित्य का है आधार
सभ्यता, संस्कृति संग जीवन व्यवहार
संतों की है ये अमृत वाणी
मधुरिम स्वर बोले सब ज्ञानी
14 सितम्बर को हिंदी दिवस का होता सम्मान
तो क्यों न हो हम देशवासियों को
सर्वश्रेष्ठ हिन्दी भाषा पर अभिमान।
जय हिन्द, जय हिन्दी
मधु कुमारी
उ. म.भतौरिया
बलुआ, हसनगंज
कटिहार