हिंदी की महिमा
भारत की पहचान है, भारत की है शान
हिन्दी की महिमा बड़ी, हिन्दी है मेरी मान
भाषा सबसे ही सरल, दूजा है अनमोल
जग में है सबसे बड़ी, जन-जन के है बोल
माँ जैसी ममतामयी, दूजा बड़ी उदार
हिन्दी है वो पावनी, आ नद घुले हजार
राष्ट्र-चेतना वाहिनी, जन-जन की है प्राण
हिन्दी है जड़ में बसी, दूर न हो लो जान
न वाणी ये विज्ञान भी, देता हर संदेश
संचारी है ये प्रबल, घुल जाता हर भेष
जैसी हिन्दी लिखिए, वैसी वाणी बोल
‘ओज’ बताये आपको, हिन्दी का ये मोल
✍️विनय कुमार “ओज”
आ. म. वि. अईमा
खिजरसराय ( गया )
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