हिन्दी-मनोज कुमार दुबे

हिन्दी

भले हिन्दी में नंबर कम आते हैं।
अंग्रेजी बोलने से भी घबराते हैं।।

फिर भी अंग्रेजी के लिए जोर लगाते हैं।
क्योंकि हम हिन्दी बोलने से शर्माते हैं।।

इंग्लिश स्कूलों का और भी बुरा हाल है।
हिन्दी वहाँ बोलने पर जुर्माने का सवाल है।।

भय के माहौल में हिन्दी वे पढ़ाते हैं।
क्यो कि हम हिन्दी बोलने से शर्माते हैं।।

एक छोटा बच्चा माता जी कहकर बुलाया।
सुनते ही माता ने बच्चे को झपट जो लगाया।।

माई डियर सन माता को मम्मा कहकर बुलाते हैं।
क्योंकि हम हिन्दी बोलने से शर्माते हैं।।

देश की संसद में भी हिन्दी परेशान हैं।
उत्तर और दक्षिण की बहस से हैरान हैं।।

राष्ट्रीय और राजभाषा बस तगमा लगाते हैं ।
क्योंकि हम हिन्दी बोलने से शर्माते हैं ।।

माना पूरी दुनियाँ अंग्रेजी से चलती है ।
पर हिन्दी भी तो हमारी पहचान दुनियाँ में करती है।।

फिर क्यों इस भाषा से नजर हम चुराते हैं।
क्योंकि हम हिन्दी बोलने से शर्माते हैं।।

देश आगे बढ़ गया पर हिन्दी पीछे रह गयी।
हिन्दी केवल कागजों में सिमट कर रह गई।।

प्रतियोगिता की दौड़ में अंग्रेजी को हम अपनाते हैं।
क्योंकि हम हिन्दी बोलने से शर्माते हैं।।

मनोज कुमार दुबे
राजकीय मध्य विद्यालय बलडीहाँ
लकड़ी नबीगंज सिवान बिहार
©manojdubey

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