इंसान बनके दिखलाओ
हुए स्वार्थी और लोभी आज के मानव
समझ नहीं ये बन बैठे हैैं कैसे महामानव
काम, क्रोध, मोह, लोभ के पाश में नित बंधते ये मानव
क्षणिक स्वार्थ के पूरन में भी अपनी क्रूरता दिखलाते ये मानव
न समझते आज के मानव जब
अंगुलिमाल, रत्नाकर बन बैठे इंसान
छोड़कर अपने बुरे कर्मो की पहचान
थामा आदर्शाचरण का जब इन्होंने हाथ
बनकर एक आदर्श इंसान
अपनी भी बनाई एक अलग पहचान।
छोड़ो बुरे कर्म और सत्कर्म को तुम अपनाओ
बदलो अपने अंतर्मन को,
इंसान तुम बनके दिखलाओ
इंसान तुम बनके दिखलाओ।।
अवनीश कुमार
उत्क्रमित मध्य विद्यालय अजगरवा पूरब
पकड़ीदयाल पूर्वी चंपारण (मोतिहारी)
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