जय माँ शारदे
हे शारदे जगजननी माते,
हे सुर धुन ज्ञानी तू वर दे।
श्वेताम्बरा सुमति सुमुखी माँ सुन,
हे अनहद नादिनी तू स्वर दे।
प्रणमामि त्वयं, भजामि तव्यं
स्वीकार हे माँ मुझको कर ले।
हे पाप नाशिनी माँ तुम सुन,
मेरी वाणी में रस भर दे।
मैं शरण तुम्हारे बैठी हूँ
हे माँ स्वीकार मुझे कर ले।
प्रणमामि त्वयं, भजामि तव्यं
स्वीकार हे माँ मुझको कर ले।
हे हँस वाहिनी माँ धवला,
अमृतमय यह जीवन कर दे।
हे सुर नर मुनि गंधर्व सुधि,
मुझमें भी तनिक सद्गुण भर दे।
प्रणमामि त्वयं, भजामि तव्यं
स्वीकार हे माँ मुझको कर ले।
मैँ मूढ़मति अज्ञानी कुटिल,
मेरी मति सत चित तुम कर दे।
आई हूँ शरण ममतामयी माँ,
ले गोद उठा सब तम हर ले।
प्रणमामि त्वयं, भजामि तव्यं ,
स्वीकार हे माँ मुझको कर ले।
स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’
मध्य विद्यालय शरीफगंज
कटिहार, बिहार