जाड़े का एहसास-अनुज कुमार वर्मा

जाड़े का एहसास

जाड़ा आया, जाड़ा आया
ठंडे की सौगात लाया l
कहीं शितलहर तो कहीं,
बर्फ की बौछार लाया l
धूप सबको प्यारा लगता,
आग से जुड़े रिश्ता नाता l
गुड़ का मिठास सबको भाता,
रजाई में सबको खूब मजा आता l
नहाना मुश्किल से हो पाता,
गर्म पानी और कपड़े भाता l
जाड़े से हाथ कंप-कपाता,
स्नान करो तो दाँत खटखटाता l
चहुँ ओर ओस छा जाता,
रात बहुत घना हो जाता l
दूब में ओस तो देखो,
मोती सा छटा बन जाता l
बाहर जाने से डर लगता,
घर में ही सब दुबका रहता l
गर्म-गर्म खाना भाता,
खूब मजे से अलाव सेंकता l
जाड़ा आया, जाड़ा आया
ठंडे की सौगात लाया l

स्वरचित रचना

अनुज कुमार वर्मा
मध्य विद्यालय बेलवा कटिहार
बिहार

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