जवाहरलाल
भारत भूमि पर धूमकेतू सा आया एक सितारा।
राजनीति में छा गया बनकर वह ध्रुवतारा।।
गाँधी, सुभाष, तिलक, भगत संग मिलकर किया कमाल।
आनंद भवन के नेहरू परिवार ने दिया जवाहरलाल।।
जेल गए, कष्ट झेला, राह पकड़ी
दुविधा का।
आजादी की खातिर किया न्योछावर अपने सुख-सुविधा का।।
राजनीति के उतुंग शिखर पर अपना परचम लहराये।
प्रधानमंत्री बनकर देश सेवा में खुब लोकप्रियता पाये।।
रुस, जर्मनी से मिलकर कल कारखाने लगवाये।
आधुनिक भारत का विकास कर “विकास पुरुष” कहलाये।।
शांति हेतु चीन से मिलकर पंचशील अपनाया।
दोस्ती के बदले जब उन्होंने चीन से धोखा खाया।।
सन 62 की जंग जो हारे बन गया उनका काल।
विश्वासघात को सह न सके चल बसा देश का लाल।।
मित्रता का पैगाम हमारा, मानवता को संदेश।
शांति का रक्षक सदा रहेगा दुनियाँ में यह देश।।
किन शब्दों में हो बखान इनकी गौरव गाथा।
सोच-सोच मन हुआ मुदित, झुकता श्रद्धा से माथा।।
जैनेन्द्र प्रसाद “रवि’
म. वि. बख्तियारपुर पटना