माँ गंगा
माँ गंगा की चर्चा हर ग्रंथ हर पुराण में है,
कहते हैं भगीरथ की कड़ी तपस्या से,
प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने,
गंगा को पृथ्वी पर ले जाने का
दिया था वरदान।
शिव की जटा से लिपट कर आई,
माँ ने लिया पृथ्वी पर अपना स्थान,
सर्वप्रथम गंगोत्री से उतर कर
देवप्रयाग तक जाती,
अलकनंदा से मिलकर उसने,
गंगा नाम से बनाई अपनी पहचान।
हर नदियों में तुझको माने
सबसे पवित्र और श्रेष्ठ,
स्पर्श करते हीं मिट जाते हैं,
मनुष्य के सारे पाप दोष क्लेश,
तेरे बिना कोई संस्कार, पूजा, यज्ञ,
ना पूरा होता कोई अनुष्ठान।
माँ तू जिस राह से गुजरी,
वहाँ बने कई धर्मस्थल,
और स्थलों में उनका,
विशेष होता है स्थान,
जो श्रद्धा से तेरी पूजा करें,
तू माँ उसको दिल से देती वरदान।
मनुष्य, पेड़-पौधे,जीव-जंतु
सबका करती तू कल्याण,
सींचते हैं तेरे निर्मल जल से,
किसान अपने खेत खलियान।
माँ तेरे चरण पड़ते हीं,
पृथ्वी का हर कण-कण हुआ महान,
तेरी चमत्कार और गुणों को
देखकर आज विज्ञान भी हैरान।।
✍️ प्रियंका कुमारी✍️
विद्यालय :–प्राथमिक विद्यालय रहिया टोल
प्रखंड :–बायसी (पूर्णिया)