जीवन की रफ़्तार
बहुत ही तेज चल रही है
यह जीवन की रफ्तार
पाने की कोशिश है सदा
जिसकी नहीं है दरकार
अजब विडंबना आई है
बनकर मेहमां मेरे द्वार
उससे भी स्वार्थ साधते
जो रहे हैं कभी हमवार
सगे संबंधी से दूर होने लगे अब
जैसे चलती गाड़ी से खेत बधार
इतना वक्त नहीं मिलता कि पूछे
कोई अपनों का हाल समाचार
ख्वाहिशों के पूल हैं सबके ऊंचे
चाहे हो अमीर या गरीब लाचार
पूरी करने की जद्दोजहद में सदा
तेज कर लेते वह अपनी रफ्तार
एम० एस० हुसैन “कैमूरी”
उत्क्रमित मध्य विद्यालय
छोटका कटरा
मोहनियां कैमूर बिहार
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