जीवन
जीवन एक उत्सव है,
जीवन एक त्यौहार है।
मिला जो मनुष्य तन,
ईश्वर को नमस्कार है।
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जीवन के हर पल को,
खुशी होकर है जीना।
ऐसा बन जाए जीवन,
न द्वेष हो, न ही घृणा।
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हो चाहे कितनी भी मुश्किल,
बस जीवन में हो उमंग,
बाँटकर खुशियाँ सभी को,
घोलो प्यार के रंग।
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ईश्वर की रची है सृष्टि,
न किसी पे डालना कुदृष्टि।
करना है सबका भला,
यही तो है जीने की कला।
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जीवन रूपी उत्सव का,
बस प्रेम ही आधार हो,
काम, क्रोध, लोभ, ईर्ष्या
ये सारे निराधार हों।
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लवली वर्मा
कटिहार, बिहार
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