जीवन मुक्त
जीवन की राह आसान नहीं
है शोक क्षोभ संताप यहीं
अन्तर्मन सुमधुर पराग प्रकीर्णित
सुवासित शतदल मधुमास यहीं ।
अतीत के अनुभव हों आत्मसात
कठिन दौर का लें संबल
मुश्किलें हों अवसर में परिणत
स्वर्णिम उपलब्धियाँ भर लें आंचल ।
परिवर्तन है जीवन की स्वीकृति
शुभ कर्म के लिए सदज्ञान प्राप्ति
मृदु व्यवहार सहज निर्मलता
आत्मीयता हो मानवीय प्रवृति ।
क्या पता जीवन दीप कब बुझ जाए
चलती सांसों संग रंग भर जाए
जस तिमिर हरता बढता दिनकर
हम भी उनसा कुछ कर जाएं ।
किस मद में हम हो रहे मगन
कुछ भी थिर नहीं जग में
धन यौवन पद मान प्रतिष्ठा
समिधाएं प्रबल काल हवन में ।
प्रतिपल बढे विश्वास विटप
अर्पित परोपकार उर स्पंदन
हिय धर विग्रह परम सत्य का
कर लें स्वयं का परिमार्जन ।
हर क्षण है यह नव जीवन
सम्यक कर्म ही ईश चिंतन
भाव कृतज्ञता का ज्ञापन
निश्छलता ही उस विराट का दर्शन ।
शुभ को न टाला करें हम
अशुभ की कामना हरगिज नहीं
नाम प्रभु का है स्वाति बूंद
कर पान हों हम जीवन मुक्त ।
दिलीप कुमार गुप्त
मध्य विद्यालय कुआड़ी, अररिया