कहती रही अम्मा
तुम हाथ साफ रखना, यह कहतीं रहीं अम्मा,
स्नान ध्यान करना कहतीं रहीं अम्मा।
अब आ गया जमाना हम भूल गए थे,
वो सब बड़ी शिद्दत से कहतीं रहीं अम्मा।
साफ सफाई का ध्यान रखने को तब भी,
हमें रोज सुबह शाम यह रटतीं रहीं अम्मा।
कोई रोग नहीं आए जो साबुन से धोया हाथ,
जिस हाथ को थीं साफ करतीं रहीं अम्मा।
स्नान, सैनिटाइजर की अद्भुत कथा सुन,
बाहर से आया घर तो कहतीं रहीं अम्मा।
संस्कार समझता जो अपने से हमेशा,
किसी रोग की मजाल क्या कहतीं रहीं अम्मा।
रहे साफ हाथ रहे साफ अंग सब,
कई तरह से यह बात कहतीं रहीं अम्मा।
घर साफ रहा, आँगन भी साफ हमेशा,
दिल साफ रख जज़्बात ये कहतीं रहीं अम्मा।
स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्य ‘
मध्य विद्यालय शरीफगंज कटिहार, बिहार
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