कार्तिक पावन पूर्णिमा – गीतिका- राम किशोर पाठक

Ram Kishore Pathak



कार्तिक पावन पूर्णिमा, महिमा कहे बखान।
कट जाता है पाप सब, कर गंगा में स्नान।।

भीड़ उमड़ती घाट पर, मनहर लगता आज।
दान-पुण्य भी कर रहे, कर्म सभी निज मान।।

आओ हम भी चल चलें, माँ गंगा के घाट।
जाने अनजाने में किए, पापों का कर ध्यान।।

पतित पावनी जल जहाँ, धोता सबका पाप।
हमको भी चलना वहीं, करने को कुछ दान।।

देव नदी की धार में, लगता पाप किनार।
वेदों ने हमको दिया, ऐसा अद्भुत ज्ञान।।

कितने पातक का हुआ, जीवन है उद्धार।
हम भी अपने पाप का, कर लें थोड़ा हान।।

त्रिपथ-गामिनी की कृपा, महिमा अगम अपार।
“पाठक” विनती कर कहे, माता रखना भान।।


रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978

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