कौन कहता बच्चे पढ़ते नहीं-प्रियंका कुमारी

कौन कहता बच्चे पढ़ते नहीं

बच्चों की होती अलग सी दुनिया जिसमे होती उनकी जान,
कल्पनाओं का पंख लिए हौसलों से भरते वे अपनी उड़ान,
सृजनात्मकता होती उनमें कूट-कूट कर भरी,
हर कार्य को करने में दिखाते अपनी मेहनत पूरी,
बस उसे पूरा करने का मिल जाए मौका और सहयोग जरा,
नासमझी तो हम करते हैं, जब बिना मौका दिए बस अपनी ही बात समझाते,
उनकी कल्पना और सृजनात्मकता को समझ पाते नहीं।
कौन कहता है बच्चे पढ़ते नहीं ।।

अपनी हर समस्या को सुलझाने का होता उनमें अनूठा अंदाज,
जिज्ञासा से भरी होती उनकी अपनी बात,
बड़े-बड़े को भी आश्चर्यचकित कर देते, उनके होते अलग सवाल,
नासमझी तो हम करते हैं, जो नहीं देते उनके सवालों का जबाव,
उनकी जिज्ञासा को हम सुलझा पाते नहीं,
कौन कहता है बच्चे पढ़ते नहीं ।।

खेल-खेल में वह कितना कुछ सीख जाते,
बड़ी-बड़ी कविताओं को लयबद्ध गाकर सुनाते,
गतिविधि के माध्यम से पूरा पाठ समझ जाते,
नासमझी तो हम में होती, जो उन्हें अपने तरीके से बस समझाते,
कभी हम उनके रंग में रंग पाते नहीं,
कौन कहता है बच्चे पढ़ते नहीं ।।

चंचल, नटखट भले होते उनके मन,
पर शिष्टाचार, दया, क्षमा के भी होते वह दर्पण,
प्यार-मोहब्बत से करवा लो चाहे कोई काम,
कुछ भी बतलाना या करवाना हो जाता आसान,
नासमझी तो हम में होती जो डर दिखाकर सबकुछ जल्दी करवाना चाहते,

उनके कोमल मन को कभी समझ पाते नहीं 
कौन कहता है बच्चे पढ़ते नहीं ।।

✍️प्रियंका कुमारी ✍️
 प्राथमिक विद्यालय रहिया टोल बायसी पूर्णिया(बिहार)

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