खाना पचता पेट मेंं-डॉ. स्नेहलता द्विवेदी आर्या

खाना पचता पेट में

खूब चबाओ मुँह हिलाओ,
सन जाये अब लार में।
पाचन शुरू कराए टाईलिन ,
गले के ऊपरी भाग में।

नीचे गले से होकर सुनलो,
खाना पहुँचा पेट में।
अम्ल मिला लाइपेज भी आये,
एमाइलेज आया है पेट में।

पित्ताशय से पित्त पहुँचता,
ड्यूओडनम के बेस में।
अम्ल क्षार का माध्यम मिलता,
खाना के इस खेल में।

धीरे धीरे पचता खाना,
इंजाइम के खेल में।
नीचें आँत में पहुँचा खाना,
पोषण शोषित खून में।

पोषण के शोषण के बाद,
मल है गया बाहर में।
खाना के पचने से प्यारे सुन,
ऊर्जा मिलता देह में।

खाना पचता पेट में।

डॉ. स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’

मध्य विद्यालय शरीफगंज कटिहार, बिहार

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